हरियाणा CM ने दिया नया अधिकार; प्रशासनिक स्वीकृति बढ़ाकर 10 करोड़ की

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ में प्रदेश भर से आए मेयर और डिप्टी मेयर की मीटिंग के दौरान कुछ नए फैसले लिए|मुख्यमंत्री ने गुरुवार को हरियाणा निवास में राज्य के नगर निगमों के मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर की बैठक की अध्यक्षता की |इसके अलावा मुख्यमंत्री ने मीटिंग में मेयरों की प्रशासनिक स्वीकृति को 2.50 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए करने की घोषणा भी की|

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरुवार को राज्य के नगर निगमों के मेयरों और सीनियर डिप्टी मेयरों के साथ बैठक की। शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता इस बैठक में खासतौर से मौजूद रहे। पहले तो मुख्यमंत्री ने सभी मेयरों और डिप्टी मेयरों की बात सुनी। फिर प्रत्येक समस्या का समाधान पेश किया।हरियाणा सरकार ने निकायों में होने वाले कामों के लिए मेयरों की वित्तीय शक्तियां बढ़ा दी हैं। अब मेयर दस करोड़ रुपये तक के कामों को स्वीकृति दे सकेंगे। पहले उनके पास मात्र ढाई करोड़ तक के कामों को मंजूरी देने के लिए अधिकार थे। इससे ऊपर के कामों की मंजूरी के लिए उन्हें फाइलें मुख्यालय भेजनी पड़ती थी। वित्तीय शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ सरकार ने मेयर के प्रशासनिक अधिकार भी बढ़ा दिए।

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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहरों की छोटी सरकार के लिए सत्ता का विकेंद्रीकरण करने की कड़ी में एक बड़ा कदम उठाया है| सरकार ने नगर निगमों के मेयर को जेई सहित ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों को सस्पेंड करने का अधिकार भी दे दिया है|सीएम ने कहा की मेयर एक बड़े क्षेत्र का प्रतिनिधि होता हैं| हमारी सरकार ने पिछले 9 वर्षो में पंचायतीराज संस्थानों के लिए भी सत्ता का विकेंद्रियकरण कर कई प्रकार के अधिकार दिए हैं|

मुख्यमंत्री ने बैठक में मेयरों को जानकारी दी कि नगर निगमों का दायरा बढने से कईं गांव इसमें शामिल हुए हैं तथा इन गांवों में लाल डोरे के दायरे से बाहर कई कालोनियां बन गई हैं, जिसमें कृषि भूमि भी शामिल है और इस पर नगर निगमों द्वारा लगभग चार करोड़ रुपये का संपत्ति कर लगाया गया है, जिसे लौटाना होगा, क्योंकि कृषि भूमि पर किसी प्रकार का संपत्ति कर नहीं लगाया जा सकता। सरकार द्वारा इन कालोनियों का सर्वे करवाया जाएगा ताकि वहां की संपत्तियों का भी क्रय विक्रय हो सके। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय वित्त आयोग तथा राज्य वित्त आयोग की तरफ से नगर निगमों को तीसरी तिमाही का 600 से 700 करोड़ रुपया आवंटित किया जाना है। मेयर अपने क्षेत्र के विकास कार्यों का अनुमान तैयार करें और शीघ्र ही इसे सरकार को भिजवाएं। विकास कार्यों में गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। अभी हाल ही में सरकार द्वारा 404 कालोनियां नियमित की गई हैं, जिनमें से 151 कालोनियां नगर निगमों के अंतर्गत आती हैं।

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