क्षमता और योग्य थी , इसलिए वे एशियन गेम्स में खेलने गए… बजरंग पूनिया के पक्ष में उतरीं गीता फोगाट

गीता फोगाट ने कहा कि हां यह जरूर कह सकते हैं कि बजरंग पूनिया का मेडल नहीं आया। बजरंग से काफी उम्मीद थी, लेकिन मेडल नहीं आने से निराशा हुई है। खेल में हार-जीत चलती रहती है। उन्होंने बजरंग पूनिया को नजदीक से देखा है, वे मानसिक व शारीरिक की कई प्रकार की चीजों से गुजरे हैं।



अंतरराष्ट्रीय पहलवान गीता फौगाट ने सोशल मीडिया पर बजरंग पूनिया का पक्ष लेते हुए उनके खिलाफ किए जा रहे गलत प्रचार की निंदा की है | उन्होंने कहा कि पदक नहीं आने से निराशा हाथ लगी। खेल में हार-जीत चलती रहती है। अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान गीता फोगाट ने पहलवान बजरंग पूनिया का बचाव किया है। उन्होंने बिना ट्रायल पूनिया के चयन पर कहा कि बहुत सारी चीजें होती हैं। पहले से नियम बने हुए हैं। जिनको पता नहीं, वे कुछ भी कह सकते हैं। बिना ट्रायल व बिना सिलेक्शन के एशियन गेम्स में कोई भी उठकर चला जाए, ऐसा नहीं है। बजरंग ने कई बार देश का नाम रोशन किया है। उनमें क्षमता थी और इस योग्य थे, इसलिए वे एशियन गेम्स खेलने गए। उनका बैडलक रहा कि खेल में मेडल नहीं आया।

एशियन गेम्स में पहलवानों का प्रदर्शन काफ़ी अच्छा रहा

यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि फेडरेशन के नियमों में कुछ गलत है तो सरकार व फेडरेशन को इन्हें बदलना चाहिए। इसके लिए बजरंग जिम्मेदार नहीं है। नियम पहले से बने हैं। जिन्हें पता नहीं, वे कुछ भी कहते हैं। बिना ट्रायल या चयन के एशियन गेम्स में कोई भी उठकर चला जाए, ऐसा नहीं है। बजरंग ने कई बार देश का नाम रोशन किया है। क्षमता के साथ योग्यता के लिए उन्हें एशियन गेम्स में खेलने का अवसर मिला। पदक नहीं आया, यह उनका बैड लक होगा

गीता ने विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि खेल जरूरी है। इसके लिए न केवल खिलाड़ी बल्कि उसके माता- पिता को भी पूरा साथ देना होगा। साथ ही बच्चों को शिक्षा के साथ खेल में आगे बढ़ाएं और उन पर ध्यान भी रखें। सरकार खिलाड़ियों को काफी पैसा देती है। कुछ खिलाड़ियों के कैश अवॉर्ड कई वर्षों से रुके हैं। इसमें समय नहीं लगना चाहिए। जरूरत के समय सुविधा मिलनी चाहिए। स्कूलों स्तर पर बेहतर सुविधाएं हैं तो इसका सकारात्मक परिणाम मिलेगा।

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